कोणार्क सूर्य मंदिर के रहस्य के बारे जानकर आश्चर्य होगा आपको...
बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी कोणार्क का सूर्य मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी किनारे पर समुद्र तट के करीब निर्मित है। 13वीं शताब्दी का सूर्य मंदिर है जो भारत के ओडिशा राज्य के कोणार्क में स्थित है। कोणार्क मंदिर को समुद्र के किनारे बनाया और मंदिर के गहरे रंग के लिये इसे काला पगोडा कहा जाता है।ऐसा माना जाता है की यह मंदिर पूर्वी गंगा साम्राज्य के महाराजा नरसिंहदेव 1 ने 1250 CE में बनवाया था। यह मंदिर बहुत बडे रथ के आकार में बना हुआ है, जिसमे कीमती धातुओं के पहिये, पिल्लर और दीवारे बनी है। मंदिर के पहिये धूपघड़ी का काम करते है जिसकी सहायता से हम दिन-रात दोनों ही समय सही समय का पता लगा सकते है। मंदिर का मुख्य भाग आज विनाश की कगार पर है।
मंदिर का रहस्य
आज यह मंदिर UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल है।
कोर्णाक मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किए गए सूर्य भगवान के साक्षात दर्शन करने का सौभाग्य कम ही लोग को मिल पाता है। कहते हैं कि इस मंदिर में 52 टन का विशालकाय चुंबक लगा हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य मंदिर के शिखर पर 52 टन का चुंबकीय पत्थर लगा हुआ था। प्रभाव से, कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले सागरपोत, इस ओर खिंचे चले आते है, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती है।
अन्यकथा अनुसार, इस पत्थर के कारण पोतों के चुम्बकीय दिशा निरुपण यंत्र सही दिशा नहीं बताते। इस कारण अपने पोतों को बचाने हेतु, मुस्लिम नाविक इस पत्थर को निकाल ले गये।
यह पत्थर एक केन्द्रीय शिला का कार्य कर रहा था, जिससे मंदिर की दीवारों के सभी पत्थर संतुलन में थे। इसके हटने के कारण, मंदिर की दीवारों का संतुलन खो गया, और परिणामतः वे गिर पड़ीं।