धर्मगुरु और महान समाज सुधारक भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी (BIOGRAPHY OF GAUTAMA BUDDHA) -


धर्मगुरु और महान समाज सुधारक भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी -
बौद्ध धर्म संस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे। वे 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक रहे। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। बौद्ध धर्म के अनुयायी लोगो की संख्या विश्व में 25% हैं इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, सिंगापूर, मलेशिया, अमेरिका, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत जैसे कई देशों में रहते हैं: इन्हें एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है।
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी, नेपाल में हुआ था। गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम बुद्ध कहलाये। इनके पिता शुदोधन एक राजा थे इनकी माता माया देवी कोली वंश की महिला थी लेकिन बालक के जन्म देने के बाद सात दिन के अंदर मायादेवी की मृत्यु हो गयी थी। जिसके बाद इनका लालन-पालन इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी रानी गौतमी ने की और इस बालक का नाम सिद्धार्थ रख दिया गया। सिद्धार्थ बचपन से बहुत की दयालु और करुणा वाले व्यक्ति थे। सिद्धार्थ का 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। इनके पुत्र का नाम राहुल था।
नाम – सिद्धार्थ गौतम बुद्ध
जन्म – 563 ईसा पूर्व (नेपाल)
मृत्यु – 483 ईसा पूर्व (भारत)
शादी – राजकुमारी यशोधरा
पुत्र – राहुल
पिता का नाम – शुद्धोदन ,एक राजा
माता का नाम – मायादेवी
बौद्ध धर्म की स्थापना – चौथी शताब्दी के दौरान

वे संसार को जन्म, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश व सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात के समय अपने राजमहल से जंगल की ओर चले गये थे। बहुत सालों की कठोर साधना के बाद बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध, (भगवान बुद्ध) बन गये।
भगवान बुद्ध ने लोगो को मध्यम का रास्ता अपनाने का उपदेश दिया भगवान बुद्ध दुःख उसके कारण और निरावरण के लिये अहिंसा पर बहुत जोर दिया जीवों पर दया करो.. गौतम बुद्ध ने हवन और पशुबलि की जमकर निंदा की हैं।
 बुद्ध के कुछ उपदेशों के सार इस प्रकार हैं-
महात्मा बुद्ध ने सनातन धर्म के कुछ संकल्पाओं का प्रचार और प्रसार किया था जैसे – अग्निहोत्र और गायत्री मन्त्र
ध्यान और अंत-दृष्टी
मध्य मार्ग का अनुसरण
चार आर्य सत्य
अष्टांग रास्तें
गौतम बुद्ध के जीवन के सफल मन्त्र :
1. हर इंसान को यह अधिकार है कि वह अपनी दुनिया की खोज स्वंय करे।
2. "भूतकाल में मत उलझो, भविष्य के सपनों में मत खो जाओ वर्तमान पर ध्यान दो यही खुश रहने का रास्ता है।"
3. गुजरा वक्त वापस नहीं आता – हम अक्सर ऐसा सोचते हैं कि अगर आज कोई काम अधूरा रह गया तो वो कल पूरा हो जाएगा हालांकि जो वक्त अभी गुजर गया वो वापस नहीं आएगा।"
4. खुशी हमारे दिमाग में है- खुशी,पैसों से खरीदी गई चीजों में नहीं बल्कि खुशी इस बात में है कि हम कैसा महसूस करते हैं, कैसा व्यवहार करते हैं और दूसरे के व्यवहार का कैसा जवाब देते हैं इसलिए असली खुशी हमारे मस्तिष्क में है।
5. "जिस तरह एक मोमबत्ती बिना आग के खुद नहीं जल सकती, उसी तरह एक इंसान बिना आध्यात्मिक जीवन के जीवित नहीं रह सकता।"
6. "सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति केवल दो ही गलतियाँ कर सकता है या तो पूरा रास्ता न तय करना या फिर शुरुआत ही न करना।"
7. अच्छी चीजों के बारे में सोचें – हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं, इसलिए सकारात्मक बातें सोचें और खुश रहें।
8. हर दिन की अहमियत समझें – इंसान हर दिन एक नया जन्म लेता है हर दिन एक नए मकसद को पूरा करने के लिए है इसलिए एक-एक दिन की अहमियत समझें।
9. गुजरा वक्त वापस नहीं आता – हम अक्सर ऐसा सोचते हैं कि अगर आज कोई काम अधूरा रह गया तो वो कल पूरा हो जाएगा हालांकि जो वक्त अभी गुजर गया वो वापस नहीं आएगा।
10. इर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी कैसे स्थाई हो सकती है? अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते|
11. एक हजार खोखले शब्दों से एक शब्द बेहतर है जो शांति लाता है।
12. हम आपने विचारों से ही अच्छी तरह ढलते हैं; हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं| जब मन पवित्र होता है तो ख़ुशी परछाई की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है।
13. अपने उद्धार के लिए स्वयं कार्य करें. दूसरों पर निर्भर नहीं रहें।
14. आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्यांकन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें. वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नहीं होती।
15. आप तक रास्ते पर नहीं चल सकते जब तक आप खुद अपना रास्ता नहीं बना लेते।
मृत्यु :-
महात्मा बुद्ध सारी आयु धर्म का प्रचार करते रहे। अन्त में इसका प्रचार करते करते अस्सी वर्ष की आयु में कुशीनगर (भारत) में उनका देहावसान हो गया। वे मर कर भी अमर हो गए।


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