वैष्णों देवी जहां ना जाने कितने भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं
मान्यता है कि माता ने इस गुफा में नौ महीने थी..
आखिरकार क्यों यहां हजारों भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं। चलिए
जानते हैं क्या है वैष्णों देवी के मंदिर के पीछे की कहानी
जम्मू भारत के उतर दिशा
में स्थित है ऊंची ऊंची पहाड़ियों से घिरा माता
वैष्णो देवी की गुफा हैं। दूर दूर तक बस पहाड़ी , प्राकृतिक का अनुपम सौंदर्य, पहाड़ियों में पानी के अनेक झरने, मन को खुश कर देता है। जम्मू
के त्रिकूट पर्वत पर एक भव्य गुफा है और वैष्णो देवी की गुफा में प्राकृतिक रूप से
तीन पिण्डी बनी हुई है। यह पिण्डी देवी सरस्वती, लक्ष्मी और काली की हैं। भक्तों को
इन्हीं तीन पिण्डियों के दर्शन होते हैं लेकिन मां वैष्णो की यहां कोई पिण्डी नहीं
है। माता वैष्णो यहां अदृश रूप में मौजूद हैं फिर भी यह स्थान वैष्णों देवी तीर्थ कहलाता है।
वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारतीय राज्य जम्मू
और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप की पहाड़ियों पर स्थित है। इन पहाड़ियों
को त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं। यहीं पर लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मातारानी
का मंदिर। कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर
और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है। पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। इस गुफा में एक
बड़ा चबूतरा बना हुआ है। इस चबूतरे पर माता का आसन है जहां देवी त्रिकुटा अपनी माताओं
के साथ विराजमान रहती हैं।
भवन वह स्थान है जहां माता ने भैरवनाथ का वध किया था। प्राचीन गुफा
के समक्ष भैरो का शरीर मौजूद है और उसका सिर उड़कर तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी में
चला गया और शरीर यहां रह गया। जिस स्थान पर सिर गिरा, आज उस स्थान को 'भैरोनाथ के मंदिर'
के नाम से जाना जाता है।
वैष्णों देवी मंदिर का निर्माण लगभग 700 साल पहले एक ब्राह्मण पुजारी
पंडित श्रीधर द्वारा कराया गया था। वह बहुत ज्यादा गरीब थे, उनके मन में मां वैष्णों
देवी के लिए बहुत ज्यादा भक्ति थी। उन्हें एक दिन मां सपने में दिखी और कहां कि वो
उनके लिए एक भंडारा कराए। मां वैष्णो देवी को समर्पित भंडारे के लिए एक शुभ दिन तय
किया गया और श्रीधर ने आसपास के सभी गांव वालो को प्रसाद ग्रहण करने का न्योता भी दे
दिया।
मां वैष्णों देवी के इस भंडारे के लिए कुछ लोगों ने उनकी मदद की
लेकिन वो मदद उस भंडारे के लिए काफी नहीं थी। जैसे-जैसे भंडारे का का दिन नजदीक आता
जा रहा था ब्राह्मण की परेशानी बढ़ती जा रही थी। वह बस यही सोच रहे थे कि इतने कम सामान
के साथ भंडारा कैसे हो पाएगा। ऐसे में उन्हें बस देवी मां के किसी चमत्कार की उम्मीद
थी। भंडारे के लिए मेहमान आना शुरू हो गए।
सभी लोग ब्राह्मण की छोटी सी कुटिया में आसानी से बैठ गए और इसके बाद भी कुटिया में
जगह थी।
इसके बाद ब्राह्मण ने अपनी आंखें खोली और सोचा की वो इन सभी को भोजन
कैसे करा पाएंगे। तब उन्होंने अचानक से एक छोटी सी लड़की को कुटिया से बाहर आते हुए
देखा जिसका नाम वैष्णवी था। वह सभी को भंडारा किला रही थी और उस कन्या का नाम वैष्णवी
था।
भंडारे के बाद ब्राह्मण कन्या वैष्णवी के बारे में जानने के लिए
उत्सुक थे लेकिन अचानक से वैष्णवी गायब हो गई और उसके बाद किसी को नहीं दिखी। कुछ दिनों
के बाद ब्राह्मण को वैष्णवी कन्या का सपना आया उसमें स्पष्ट हुआ कि वह मां वैष्णो देवी
थी।
कन्या के रूप में आई माता रानी ने ब्राह्मण को सनसनी गुफा के बारे
में बताया। इसके बाद ब्राह्मण श्रीधर मां की गुफा की तलाश में निकल पड़े। जब उन्हें
वह गुफा मिली तो उन्होंने तय किया की वह अपना सारा जीवन मां की सेवा करेंगे।
जम्मू पर्यटक स्थलों में भी आता है यहाँ हजारो लोग घूमने और माता
के दर्शन करने आते है। प्राकृतिक की अनुपम
सौंदर्य मंदिर को भब्या बनती है।
अब भगवान श्री कृष्ण के ऊपर एक छोटा सा गाना पसंद आए तो लाइक कीजिएगा.....
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