Atmosphere Composition and Layer , know ..


दोस्तों आज  हम  GK  में Indian Geography में  वायुमंडल का संगठन (Atmosphere Composition)और उसकी संरचना  मुख्य तथ्य से सम्बंधित आवश्यक सभी प्रश्न   बतायेगे जो  Exam की दृस्टि से बहुत ही महत्व पूर्ण है और कई  बार   चुके है। 

जानकारी को बहुवैकल्पिक प्रश्नों के रूप में भी  प्रस्तुत किया गया है| प्रतियोगी छात्र के लिए :-

Basic :-
वायुमंडल का संगठन (Atmosphere Composition)और उसकी संरचना -
वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है।पृथ्वी के चारों और लिपटा हुआ गैसों का विशाल आवरण (giant cover of gases) जो पृथ्वी का अखंड अंग है और उसे चारों तरफ से घेरे हुए हुए है, वायुमंडल (Atmosphere) कहलाता है। वायुमंडल का भार 5.6×1025 टन है एवं इसके भार का लगभग आधा भाग धरातल से 5500 किमी. की ऊँचाई पर पाया जाता है।वायुमंडल की अंतिम ऊँचाई 16 हजार कि.मी. से 32 हज़ार किलोमीटर के बीच है। वायुमंडल का 50% भाग इसके 5 1/2 कि.मी. की ऊँचाई तक, 75% भाग 16 कि.मी. के ऊँचाई तक एवं 99% भाग 32 कि.मी. ऊँचाई तक स्थित है। सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन तथा उसके बाद क्रमशा ऑक्सीजन,आर्गन व कार्बन डाइऑक्साइड का स्थान आता है इसके अलावा जलबाष्प,धूल के कण तथा अन्य अशुद्धियां भी असमान मात्रा में वायुमंडल में मौजूद रहती हैं।
यह सौर विकिरण की लघु तरंगों को पृथ्वी के धरातल तक आने देता है , परंतु पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अवरोधक बनता है।  इस प्रकार यह ऊष्मा को रोककर विशाल “ग्लास हाउस” की भांति कार्य करता है , जिससे पृथ्वी पर औसतन 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बना रहता है। यही तापमान पृथ्वी पर जीव मंडल के विकास का आधार है।
वायुमंडल का संगठन  निम्नलिखित तत्वों से हुआ है,
नाइट्रोजन ( N2 ) - 78%

ऑक्सीजन ( O2 ) - 21%
आर्गन ( Ar ) - 0.93 %
कार्बन डाइऑक्साइड - 0.03%
हाइड्रोजन - 0.01%
नियोन - 0.0018%
हीलियम - 0.0005%
क्रिप्टान - 0.0001 %
जेनान - 0.000005%
ओजोन - 0.0000001%

वायुमंडल की विभिन्न परतें( Layer of Atmosphere) - 
वायुमंडल की परतों को मुख्यता 5 भागों में बांटा गया है -
क्षोभमंडल (Troposphere) -
वायुमंडल की इस सबसे नीचली परत (bottom layer) का भार सम्पूर्ण वायुमंडल का लगभग 15% है। धरातल से इस परत की औसत ऊँचाई 10 कि.मी. है. भूमध्य रेखा पर ऊँचाई 18 कि.मी. और ध्रुवों पर 8-10 कि.मी. है। ग्रीष्म ऋतु में इस स्तर की ऊँचाई में वृद्धि और शीतऋतु में कमी पाई जाती है। इस मंडल की प्रमुख विशेषता है प्रति 165 मी. की ऊँचाई पर तापमान में 1 डीग्री सेल्सियस की गिरावट आना इसमें सर्वाधिक क्षैतिज और लम्बवत तापान्तर होता है। इस भाग में गर्म और शीतल होने का कार्य विकिरण, संचालन और संवहन द्वारा होता है। इस मंडल को परिवर्तन मंडल भी कहते हैं। समस्त मौसमी घटनाएँ भी इसी मंडल में घटित होती हैं। 
समतापमण्डल  (Stratosphere) -

इसमें ओजोन परत  15 से 35 किमी  पाऐ जानें के कारण इसे ओजोन मंडल भी कहते हैं।  दोस्तों इसका विस्तार 8 या 18 किमी से 50 किमी तक होता है। ओज़ोन गैस सौर्यिक विकिरण की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं। इस मण्डल में प्रारंभ में तापमान स्थिर रहता है तथा 20 किमी के बाद बढनें लगता है।  ऐसा ओजोन गैसों की उपस्थिति के कारण होता है , जोकि पराबैगनी किरणों को अबशोषित कर तापमान बढा देती हैं। समताप मण्डल बादल तथा मौसम संबंधी घटनाओं से मुक्त रहता है। इस मण्डल के निचले भाग में जेट वायुयान के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं हैं। इस मंडल की मोटाई ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत रेखा पर सबसे कम होती है।  शीत ऋतु में 50 डिग्री से 60 डिग्री अक्षाशों के बीच समताप मंडल सर्वाधिक गर्म होता है।
मध्य मण्डल  (Mesophere) –
दोस्तो इसमें  50 से 80 कि.मी. की ऊँचाई वाला वायुमंडलीय भाग मध्य मंडल कहलाता है जिसमें तापमान में ऊँचाई के साथ ह्रास होता है। 80 कि.मी. की ऊँचाई पर तापमान -80 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, इस न्यूनतम तापमान की सीमा को “मेसोपास कहते हैं।
आयन मंडल  (Ionosphere) -
धरातल से 80-640 कि.मी. के बीच आयन मंडल का विस्तार है। इस मण्डल में ऊंचाई के साथ ताप में तेजी से वृद्धि होती है।यहाँ पर अत्यधिक तापमान के कारण अति न्यून दबाव होता है।  फलतः पराबैगनी फोटोंस (UV photons) एवं उच्च वेगीय कणों के द्वारा लगातार प्रहार होने से गैसों का आयनन  हो जाता है।  आकाश का नील वर्ण, सुमेरु ज्योति, तथा उल्काओं की चमक एवं ब्रह्मांड किरणों की उपस्थिति इस भाग की विशेषता है। इसमें विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है ,जिहें आयन कहा जाता है।  इन्ही की अधिकता के कारण इस मंडल का नाम आयन मंडल है। ये कण रेडियो तरंगों को भूपृष्ठ पर परावर्तित करते हैं और बेतार संचार को संभव बनाते हैं।
बाह्य मंडल  (Exosphere) - 
सामान्यत 640 कि.मी. के ऊपर बाह्य मंडल का विस्तार पाया जाता है। इसे वायुमण्डल का सीमांत क्षेत्र कहा जाता है। इस मण्डल की वायु अत्यंत विरल होती है। यहाँ पर हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों की प्रधानता है। 
ओजोन  (Ozone) - 
दोस्तों इसमें ओजोन layers के बारे में जानेगे  वायुमंडल में अति अल्प मात्र में पाए जाने वाले ओजोन का सर्वाधिक सांद्रण 20-35 कि.मी. की ऊँचाई पर है।  ओजोन सूर्य से आने वाली घातक पराबैगनी किरणों को रोकती है।  वर्तमान में CFC एवं अन्य ओजोन क्षरण पदार्थों की बढ़ती मात्र के कारण ओजोन परत (ozone layer) का क्षरण एक गंभीर समस्या के रूप में उभरी है। 


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